चैत्र अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है.

यह दिन पितरों को समर्पित है और इस दिन किए गए कर्म पितरों को शांति प्रदान करते हैं.

चैत्र अमावस्या पर पितरों का तर्पण करना बहुत शुभ माना जाता है.

ऐसा माना जाता है कि इस दिन तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

इस दिन लोग अपने पूर्वजों को जल, तिल, और अन्न अर्पित करते हैं. चैत्र अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने से विशेष लाभ मिलता है.

पंचांग के अनुसार, चैत्र अमावस्या या भूतड़ी अमावस्या तिथि 28 मार्च को रात 07 बजकर 55 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 29 मार्च की शाम 04 बजकर 27 मिनट पर इसका समापन होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 29 मार्च को चैत्र अमावस्या मनाई जाएगी.

सुबह किसी पवित्र नदी, सरोवर या घर में स्नान करके पितरों का तर्पण करें. यदि संभव हो तो इस दिन गंगा स्नान करें.

पितरों के नाम से हवन और श्राद्ध कर्म करें, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है.