भारत और रूस की रणनीतिक साझेदारी मजबूत होती जा रही है. इसकी बानगी सोमवार को देखने को मिली जब रूस में निर्मित ताकतवर युद्धपोत आईएनएस तुशिल, भारत को सौंपा गया. इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी रूस में निर्मित और स्वदेशी मिसाइलों के साथ-साथ अत्याधुनिक तकनीक से लैस युद्धपोत आईएनएस तुशील की कमिशनिंग के साक्षी बने ।
नौसेना चीफ के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार देर रात मॉस्को पहुंचे हैं, वह मंगलवार को रूस में अपने समकक्ष आंद्रे बेलौसोव के साथ तकनीकी सहयोग पर अंतर-सरकारी आयोग की 21वीं बैठक में हिस्सा लेंगे. इसके आलावा वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात कर सकते हैं । इस जंगी जहाज से समंदर में भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ेगी. आईएनएस तुशिल का वजन 3900 टन है, इसकी की खासियत की बात करें तो यह जंगी जहाज 125 मीटर लंबा और 3900 टन वजनी है, जो अपने घातक अटैक के लिए जाना जाता है.
आईएनएस तुशिल रूस और भारतीय अत्याधुनिक तकनीक और वॉरशिप निर्माण का बेहतरीन मिक्सअप है । सोमवार को भारतीय नौसेना को सौंपे गए इस ताकतवर जंगी जहाज में 18 अधिकारी और 180 सैनिक तैनात हो सकते हैं, जो 30 दिन तक समुद्र में रह सकते हैं. इसमें एडवांस इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और 24 मीडियम रेंज की मिसाइलें तैनात की गई हैं.यह तलवार क्लास स्टेल्थ फ्रिगेट का हिस्सा है और इसे रूस के यंत्र शिपयार्ड में बनाया गया है. यह जहाज 59 किमी/घंटा की अधिकतम रफ्तार से चल सकता है ।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 8 से 10 दिसंबर तक रूस दौरे पर हैं. इस दौरान वह भारतीय समुदाय को भी संबोधित करेंगे. उन्होंने सोमवार को आईएनएस तुशिल की भारतीय नौसेना में कमिशनिंग की. इसके अलावा वह मंगलवार को एक अहम बैठक में भी हिस्सा लेंगे. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रूस का दौरा किया था. वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी जल्द ही भारत का दौरा करने वाले हैं, कुछ दिनों पहले ही क्रेमलिन ने अपने बयान में बताया था कि पुतिन के भारत दौरे की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं और जल्द ही तारीखों का ऐलान किया जाएगा ।