देश में सहकारिता क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं. सहकारी समितियों का कंप्यूटरीकरण करने के साथ आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने के उपाय किए गए हैं. बुधवार को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ‘सहकारी समितियों को सशक्त करने के लिए पहले की गई और वर्तमान में की जा रही पहल’ विषय पर सहकारिता मंत्रालय की संसदीय परामर्शदात्री समिति की पहली बैठक की अध्यक्षता की.
बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर के किसानों और ग्रामीण क्षेत्र के हित में सहकारिता मंत्रालय का गठन कर ‘सहकार से समृद्धि’ का मंत्र दिया. मोदी सरकार का मानना है कि सहकारिता के माध्यम से रोजगार सृजन और ग्रामीण क्षेत्र की समृद्धि संभव है. देश की आजादी के कुछ वर्षों बाद तक सहकारिता आंदोलन मजबूत स्थिति में था, लेकिन बाद में अधिकांश राज्यों में यह कमजोर होता गया.
केंद्र में सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद राज्यों के साथ मिलकर प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) का डेटाबेस बनाने का काम किया और दो लाख पैक्स के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की गयी । राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस विकसित करने का काम लगभग पूरा हो चुका है और अब देश भर की सहकारी समितियों की क्षेत्रवार जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध है.
उन्होंने कहा कि पैक्स के कंप्यूटरीकरण के लिए कदम उठाये गये है और आने वाले समय में देश की एक भी पंचायत ऐसी नहीं होगी जहां पैक्स नहीं होगा. बैठक में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल और मुरलीधर मोहोल, समिति के सदस्यों, केंद्रीय सहकारिता सचिव और सहकारिता मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। पैक्स को मौजूदा जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से बनाए गए कानून को अधिकांश राज्यों ने लागू किया है. पैक्स को 20 से अधिक गतिविधियों से जोड़ा गया है और अब वे कॉमन सर्विस सेंटर, जन औषधि केंद्र सहित अन्य सेवाएं प्रदान कर रही है.
गृह मंत्री ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने मौजूदा बजट सत्र में त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के गठन के लिए विधेयक पेश किया है और जल्द ही संसद से यह पारित होगा. इस विश्वविद्यालय के गठन से सहकारी क्षेत्र में आने वाले पेशेवरों को तकनीकी शिक्षा, एकाउंटिंग और प्रशासन संबंधी जानकारी और प्रशिक्षण मिलेगा और इससे सहकारी क्षेत्र में प्रशिक्षित मैनपावर उपलब्ध हो सकेगा ।