केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रविवार को राजस्थान के कोटपूतली में 108 कुण्डीय रुद्र महा मृत्युंजय महायज्ञ की महापूर्णाहुति एवं सनातन सम्मेलन में भाग लिया। इस अवसर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।
शाह ने अपने संबोधन में कहा कि बाबा बस्ती नाथ ने लगातार एक साल तक समाज के हर वर्ग को जोड़कर इस सनातन महायज्ञ का एक महान प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि यहीं पर एक वर्ष पहले 108 कुंडीय महा मृत्युंजय महायज्ञ शुरू हुआ और आज इसका समापन होने जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछली रामनवमी से इस वर्ष रामनवमी तक हर पांच दिन में समाज के हर हिस्से से एक जोड़े ने पवित्र भाव के साथ 108 कुंडीय यज्ञ पर बैठकर प्रकृति के संरक्षण, सनातन के प्रचार और अपनी आत्मा की शुद्धि के लिए यहां यज्ञ किया है। शाह ने कहा कि समाज को जोड़ने, व्यक्तियों को धर्ममय बनाने और पर्यावरण की सेवा करने वाला ऐसा प्रयास आज तक नहीं देखा है।
उन्होंने कहा कि इस आश्रम में बाबा बालनाथ की प्रेरणा से 16 साल से लगातार यज्ञ का आयोजन बाबा बस्तीनाथ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनेक भक्तों ने यहां आकर कई प्रकार के व्यसनों का त्याग किया, नशामुक्ति की प्रतिज्ञा की, सामाजिक समरसता का प्रतीक बने और बाबा बालनाथ की समाधि को और ऊर्जा और शक्ति प्रदान करने का काम किया। उन्होंने कहा कि इस अखंड धूणी को एक महासिद्ध योगी ने शुरू किया और बाबा बस्तीनाथ इसे आगे बढ़ा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में अनेक संत, महापुरुष, ऋषि, मुनि रहे हैं और बाबा बालनाथ भी ऐसे एक महायोगी थे, जिन्होंने इसी भूमि पर जन्म लेकर देश-विदेश में 84 धूणियों की स्थापना कर अपने पूरे जीवन को धर्ममय बनाने का काम किया। उन्होंने कहा कि मानव योनि के 84 चक्रों से मुक्ति प्राप्त कर जब उन्होंने समाधि ली तब यह स्थान उनके तप से बेहद ऊर्जावान हो गया। शाह ने कहा कि यहां कई हताश मन और जीवन को आशा मिली है, निराश लोगों को चेतना मिली है, बेसहारा लोगों को धर्म का सहारा मिला है और बेजुबान जीवों पर दया के माध्यम से जीवन आगे बढ़े हैं।
उन्होंने कहा कि आज बाबा बालनाथ के सत्य और तपस्या में विश्वास रखने, वैराग्य और सेवा को जीवन का आधार बनाने, प्राकृतिक जीवन जीने और पशु-पक्षियों की सेवा करने के सिद्धांतों को बाबा बस्तीनाथ आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाबा बस्तीनाथ ने भी अपने गुरु की तरह ही लोकधर्म, लोककल्याण, सनातन धर्म, पर्यावरण संरक्षण औऱ सामाजिक समरसता के लिए अनेक प्रकार के प्रकल्प हाथ में लेकर उन्हें आगे बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि महाप्रभु आदिनाथ से लेकर नौ गुरुओं और उनके बाद ऊर्जा के अनेक वाहकों के माध्यम से सनातन धर्म को नाथ संप्रदाय ने शक्ति देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु के सभी तत्वों को मिलाकर आत्मज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नाथ संप्रदाय में धूणी को माना गया है।