बीमा सखी योजना की शुरुआत, पीएम बोले- सेल्फ हेल्प ग्रुप के जरिए ग्रामीण महिलाओं को जोड़ा

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बीमा सखी योजना की शुरुआत, पीएम बोले- सेल्फ हेल्प ग्रुप के जरिए ग्रामीण महिलाओं को जोड़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (9 दिसंबर) को बीमा सखी योजना की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने जनसभा को संबोधित किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि आज का दिन और भी वजह से विशेष है। आज नौ तारीख है। शास्त्रों में नौ के अंक को बहुत शुभ माना जाता है। नौ का अंक नवदुर्गा की नौ शक्तियों से जुड़ा है। आज का दिन नारी शक्ति की उपासना का है।

पीएम मोदी ने कहा कि नौ दिसंबर को ही संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी। पीएम मोदी ने कहा कि मैं पूरे हरियाणा को, यहां के देशभक्त लोगों को राम राम करता हूं। हरियाणा ने ‘एक हैं तो सेफ हैं’ मंत्र को जिस तरह से अपनाया, वह पूरे देश में उदाहरण बना है। हरियाणा से मेरा लगाव और रिश्ता किसी से छिपा नहीं है। आप सब ने हमें लगातार तीसरी बार इतना आशीर्वाद दिया, भाजपा सरकार बनाई, मैं हरियाणा के हर परिवारजन का वंदन करता हूं।

नायब सैनी की सरकार को अभी कुछ ही सप्ताह हुए हैं, लेकिन उनकी प्रशंसा पूरे देश में हो रही है। यहां बिना खर्ची व बिना पर्ची के हजारों युवाओं को पक्की नौकरियां मिली हैं, वह पूरे देश ने देखा है। अब यहां डबल इंजन की सरकार डबल रफ्तार से काम कर रही है। चुनाव के दौरान आप सभी माताओ-बहनों ने नारा दिया था, म्हारा हरियाणा नान स्टाप हरियाणा, उस नारे को हम सभी ने अपना संकल्प बना दिया है। उसी संकल्प के साथ आज मैं आपके दर्शन करने आया हूं।
आजादी के बाद कई सालों तक महिलाओं के पास बैंक खाते नहीं थे। हमारी सरकार ने सबसे पहले माताओं व बहनों के बैंक खाते खुलवाए। आज जन धन योजना से 30 करोड़ से ज्यादा महिलाओं के खाते खुले हैं। अगर यह जन धन बैंक खाते नहीं होते तो गैस सब्सिडी के पैसे सीधे आपके खाते में नहीं आते। कोरोना के समय की मदद नहीं मिलती। किसान कल्याण निधि के पैसे नहीं मिलते। सुकन्या समृद्धि योजना का लाभ नहीं मिलता। अपना घर बनाने के लिए पैसे नहीं मिलते। रेहड़ी पटरी लगाने वाली महिलाओं के लिए बैंक के दरवाजे बंद ही रहते। महिलाओं के पास अपने बैंक खातों के कारण वे मुद्रा लोन ले पाई। पहली बार अपने मन का काम शुरू किया। गांव गांव में बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने में महिलाओं ने बड़ी भूमिका निभाई है। जिनके बैंक खाते नहीं थे, वे आज बैंक सखी के रूप में लोगों को बैंकों से जोड़ रही हैं।

बीमा जैसे सेक्टर के विस्तार का जिम्मा भी महिलाओं को मिला है। बीमा सखी योजना के तहत दो लाख महिलाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। एक एलआइसी एजेंट हर माह औसतन १५ हजार रुपये कमाता है। इस हिसाब से देखें तो हमारी बीमा सखियां हर साल पौने दो लाख रुपये से ज्यादा कमाएंगी। बहनों की यह कमाई परिवार को अतिरिक्त आय देगी। बीमा सखियों का योगदान इससे कहीं अधिक होने वाला है। विकसित होते हमारे देश में सामाजिक सुरक्षा के लिए गरीबी को जड़ से मिटाने के लिए आवश्यक है। आप आज जिस भूमिका में इंश्योरेंस फार आल मिशन को बल मिलेगा। जब व्यक्ति के पास बीमा की ताकत होती है तो उसको बहुत लाभ होता है।

देश के 20 करोड़ से ज्यादा गरीब लोगों का बीमा हुआ है। 20 हजार करोड़ रुपये की क्लेम राशि इनको दी जा चुकी है। बीमा सखियां देश के परिवारों को सामाजिक सुरक्षा का कवच देंगी। भारत में पिछले 10 साल में ग्रामीण महिलाओं के लिए जो क्रांतिकारी नीतियां बनीं, वे वाकई स्टडी का विषय है। बीमा सखी, बैंक सखी, कृषि सखी, पशु सखी, डरोन दीदी, लखपति दीदी, यह नाम भले ही बड़े सहज और सामान्य हैं, लेकिन ये भारत का भाग्य बदल रहे हैं। खासतौर पर भारत का सेल्फ हेल्प ग्रुप अभियान महिला सशक्तीकरण की ऐसी गाथा है, जिसे इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप को ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने का बड़ा माध्यम बनाया।

आज देश की 10 करोड़ महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी हैं। उनकी कमाई हो रही है। 10 साल में हमने इन समूहों की महिलाओं को आठ लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की मदद दी है। मैं देश भर में सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं से कहूंगा कि आपकी भूमिका असाधारण है, योगदान बहुत बड़ा है। आप सभी भारत को दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक ताकत बनाने के लिए काम कर रही हैं। सेल्फ हेल्प ग्रुप से सिर्फ एक महिला की आय नहीं बढ़ती, बल्कि पूरे परिवार व गांव का आत्मविश्वास बढ़ता है। मैंने लाल किले से तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने की घोषणा की है। एक करोड़ 15 लाख से ज्यादा लखपति दीदी बन चुकी हैं। हर साल एक लाख रुपये से अधिक की कमाई कर रही हैं। नमो डरोन दीदी योजना की हरियाणा में चर्चा है। चुनाव के दौरान मैंने कुछ इंटरव्यू पढ़े थे।

देश में आज आधुनिक खेती और प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूकता बढ़ाने को कृषि सखियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कृषि सखियां हर साल 60 हजार रुपये से अधिक कमाती हैं। सवा लाख से अधिक पशु सखियां पशुपालन को लेकर जागरूकता अभियान का हिस्सा हैं। आप मानवता की सेवा कर रही हैं। जिस तरह से मरीज को नई जिंदगी देने में नर्स का बहुत बड़ा योगदान होता है, उसी तरह से हमारी कृषि सखियां हमारी धरती माता को बचाने का काम कर रही हैं। प्राकृतिक खेती के लिए जागरूकता फैला रही हैं।

दस साल पहले करोड़ों बहनों के पास एक शौचालय नहीं था। मोदी ने 12 करोड़ शौचालय बनाए। दस साल पहले करोड़ों बहनों के पास गैस कनेक्शन नहीं था। मोदी ने उज्ज्वला के मुफ्त कनेक्शन दिए। पानी के नल दिये। प्रापर्टी महिलाओं के नाम नहीं होती थी। हमने महिलाओं को पक्के घर की मालकिन बनाया।विधानसभा व लोकसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण देने का काम भी हमने ही किया है। जब सही नीयत से ईमानदार प्रयास होते हैं तो तभी आप बहनों का आशीर्वाद मिलता है। हमारी डबल इंजन की सरकार किसानों के कल्याण के लिए ईमानदारी से काम कररही है। पहले दो कार्यकाल में सवा लाख करोड़ रुपये एमएसपी के मिले। सूखा प्रभावित किसानों की मदद के लिए 800 करोड़ से ज्यादा दिए।

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